IPO: आपने कभी सोचा है कि किसी आईपीओ की कीमत (प्राइस बैंड) कंपनी ने जो तय की है उससे ज्यादा और कम में शेयरों की लिस्टिंग क्यों होती है? इस सवाल ने हमे यह आर्टिकल लिखने को मजबूर किया है।
उदाहरण के तौर पर किसी कंपनी के आईपीओ का प्राइस बैंड 100-110 रुपये है तो उसकी लिस्टिंग 180 रुपये या फिर 90 रुपये पर क्यों होती है। हालांकि यह भी सच है कि ऐसे कई पब्लिक इश्यू हैं जिनकी लिस्टिंग सपाट रही है।
आज हम इस आर्टिकल में यही जानेंगे की आखिर क्यों किसी आईपीओ की लिस्टिंग उसके प्राइस से कम या ज्यादा में होती है।
क्या हैं कारण?
शेयरों की लिस्टिंग उसके आईपीओ प्राइस से ज्यादा या कम होने की कई वजहें हैं- जैसे: आईपीओ की मांग, मार्केट सेंटिमेंट इत्यादि। चलिए एक-एक कर जानते हैं।
1. आईपीओ की मांग
किसी आईपीओ की लिस्टिंग उसके आईपीओ प्राइस से अधिक में होगी या कम में यह उसके मांग पर निर्भर करता है। अगर किसी आईपीओ को उसके ऑफर से काफी अधिक सब्सक्रिप्शन मिला है तो इस स्थिति में वह आईपीओ शेयर बाजार में अपने आईपीओ प्राइस से अधिक में लिस्ट होगा।
अधिक सब्सक्रिप्शन मिलने का सीधा मतलब यह है की उस आईपीओ की मांग अधिक है। इसके उलट अगर किसी आईपीओ को सब्सक्रिप्शन कम मिला है तो उसकी लिस्टिंग उसके आईपीओ प्राइस से कम में होगी।
2. ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP)
आईपीओ के लिस्ट होने से पहले अनऑफिशियल तरीके से ट्रेड होने वाली कीमत को ग्रे मार्केट प्रीमियम कहा जाता है। अगर GMP अधिक, तो लिस्टिंग प्राइस आमतौर पर ज्यादा होता है और अगर GMP कम है, तो लिस्टिंग कमजोर हो सकती है।
हालांकि जीएमपी के आधार पर यह मान लेना की लिस्टिंग अच्छी होगी या खराब, यह सही नहीं है क्योंकि यह सिर्फ एक संभावना दर्शाता है क्योंकि इसमें कुछ भी ऑफिशियल नहीं है।
ऐसे कई आईपीओ हैं जिसका जीएमपी कम था लेकिन उसकी लिस्टिंग अच्छी हुई थी।
3. कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति और ब्रांड वैल्यू
अगर कंपनी के फाइनेंशियल्स मजबूत हैं, उसका बिजनेस मॉडल अच्छा है और भविष्य की ग्रोथ संभावनाएं अच्छी हैं, तो निवेशक ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं और लिस्टिंग प्राइस बढ़ सकता है। वहीं अगर कंपनी में कोई जोखिम या अनिश्चितता हो, तो शेयर कम प्राइस पर लिस्ट हो सकता है।
4. मार्केट सेंटिमेंट
जिस समय आईपीओ आया है अगर उस समय शेयर बाजार में गिरावट चल रही है या ग्लोबल इकोनॉमिक कंडीशन खराब है, तो उस आईपीओ की लिस्टिंग प्राइस प्रभावित हो सकती है चाहे कंपनी अच्छी ही क्यों न हो।