IPO: कैसे तय करें की किस आईपीओ में पैसा लगाना है और किसमें नहीं? Explained

इस आर्टिकल में हम आपको काफी आसान शब्दों में समझाएंगे कि आप किसी कैसे तय करें कि किस इश्यू को सब्सक्राइब करना है और किसे छोड़ना है।

IPO: कैसे तय करें की किस आईपीओ में पैसा लगाना है और किसमें नहीं? Explained

Initial Public Offering (Image Credit: Canva)

IPO: पिछले कुछ सालों में, कई नई कंपनियों ने अपने आईपीओ (Initial Public Offering) लॉन्च किए हैं। कुछ ने लिस्टिंग के दिन ही शानदार रिटर्न दिया, जबकि कुछ ने निवेशकों को निराश किया। 

 

शेयर बाजार में लगभग हर हफ्ते नए आईपीओ लॉन्च होते हैं। अब ऐसे में एक सवाल निवेशकों के मन में जरूर आता है आखिर कैसे पता करें कि किस आईपीओ में पैसा लगाना है और किसमें नहीं? इस आर्टिकल में हम आपको काफी आसान शब्दों में समझाएंगे कि आप किसी कैसे तय करें कि किस इश्यू को सब्सक्राइब करना है और किसे छोड़ना है।

 

क्या होता है आईपीओ?

 

आईपीओ वह प्रक्रिया है जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर जनता को बेचती है। कंपनी अपने बिजनेस को बढ़ाने, लोन चुकाने या ऑपरेशन में सुधार करने के लिए पैसा जुटाती है। लोग आईपीओ में निवेश करना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि कंपनी का शेयर, स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने से पहले उन्हें कम कीमत पर मिल सकता है।

 

हर आईपीओ में क्यों ना करें निवेश?

 

कई निवेशक मानते हैं कि हर आईपीओ, खासकर लिस्टिंग के दिन, मुनाफा देता है। लेकिन यह सच नहीं है। कुछ आईपीओ को बहुत ज्यादा प्रचारित (Ads) किया जाता है और लिस्टिंग के बाद उनकी कीमतें गिर जाती हैं। कुछ कंपनियां आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होतीं, फिर भी वे बाजार में आ जाती हैं। इसलिए आईपीओ के लिए अप्लाई करने से पहले कुछ जरूरी जानकारी जुटाना जरूरी है।

 

आईपीओ में निवेश करना है या नहीं, यह तय करने के लिए आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा जैसे:

 

1. कंपनी क्या करती है?

 

आवेदन करने से पहले, कंपनी के काम के बारे में पढ़ें। देखें की कंपनी कौन से सेक्टर में है जैसे-  फाइनेंस, फूड, टेक, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर इत्यादि। इसके मुख्य बिजनेस को समझने की कोशिश करें। अगर कंपनी कुछ ऐसा कर रही है जिसे आप समझते हैं या जिसे आप रोजमर्रा की जिंदगी में देखते हैं, तो उस पर भरोसा करना आसान हो जाता है।

 

2. कंपनी के प्रॉफिट-लॉस हिस्ट्री को चेक करें

 

पैसा लगाने से पहले चेक करें की कंपनी पिछले कुछ सालों में प्रॉफिट कमा रही है या लॉस में जा रही है। यह जानकारी आपको कंपनी के RHP में मिल सकती है। RHP वो डॉक्यूमेंट होता है जो कंपनी, सेबी के पास आईपीओ लाने के लिए दायर करती है।

 

3. आईपीओ में शेयर कौन बेच रहा है?

 

कुछ आईपीओ फ्रेश इश्यू और ऑफर फॉर सेल (OFS) दोनों के साथ आते हैं। OFS में कंपनी के मौजूदा शेयरधारक (जैसे प्रमोटर या शुरुआती निवेशक) अपने शेयर बेचते हैं।

 

अगर कंपनी ज्यादातर शेयर OFS के जरिए बेच रही है, तो खुद से यह सवाल पूछें कि प्रमोटर क्यों निकल रहे हैं? क्या उन्हें भविष्य को लेकर भरोसा नहीं है? फ्रेश इश्यू में कंपनी पहली बार जनता को अपने शेयरों की पेशकश करती है।

 

4. आईपीओ से जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल कंपनी कहां करेगी?

 

कंपनी के आईपीओ का मकसद जानें। क्या कंपनी इस पैसों का उपयोग ग्रोथ के लिए कर रही है (जैसे नई फैक्ट्रियां खरीदना, नए बाजारों में प्रवेश करना), या सिर्फ पुराने कर्ज चुकाने के लिए आईपीओ के जरिए पैसा जुटा रही है?

 

अगर कंपनी के पास ग्रोथ की स्पष्ट योजना है और वह इन पैसों का उपयोग बिजनेस विस्तार के लिए कर रही है, तो यह एक पॉजिटिव संकेत है। कंपनी जिस सेक्टर में है उस सेक्टर की अन्य कंपनियों के साथ इसकी तुलना करें। पता लगाने की कोशिश करें कि कंपनी के कंपीटिटर कौन हैं। क्या वह बाजार में लीडर है या कोई छोटी कंपनी है?

 

उदाहरण के लिए, अगर कोई नया फूड डिलीवरी स्टार्टअप आईपीओ ला रहा है, तो उसकी तुलना जोमैटो या स्विगी जैसी कंपनियों से कैसे की जा सकती है? 

 

यह भी देखें कि क्या वो कंपनी जो आईपीओ ला रही है उसके आईपीओ का प्राइस बैंड अन्य कंपनियों की तुलना में उचित है।

 

5. बताए गए जोखिमों को जरूर देखें?

 

RHP में हमेशा ‘Risk Factors’ नाम का एक सेक्शन होता है जिसे आपको ध्यान से पढ़ना चाहिए। जैसे: 

 

  • क्या कंपनी किसी एक प्रोडक्ट या ग्राहक पर बहुत ज्यादा निर्भर है?
  • क्या कोई कानूनी मामला चल रहा है?
  • क्या कंपनी किसी हाई जोखिम वाले उद्योग में काम कर रही है?

अगर आपको बहुत सारे खतरे के संकेत दिखाई देते हैं, तो इससे बचना ही बेहतर है।

 

6. ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) 

 

कई लोग आईपीओ में पैसा लगाने है या नहीं यह जानने के लिए जीएमपी भी चेक करते हैं। जीएमपी वह अतिरिक्त कीमत है जो लोग स्टॉक लिस्टिंग से पहले अनौपचारिक रूप से चुकाने को तैयार होते हैं।

 

हाई GMP पॉजिटिव भावना दर्शाता है, लेकिन याद रखें: GMP ऑफिशियल नहीं है, और यह जल्दी बदल भी सकता है। केवल GMP के आधार पर निवेश न करें। कई बार जीएमपी अधिक होने पर भी शेयर की लिस्टिंग खबर होती है और कई बार जीएमपी खराब होने पर भी शेयर की लिस्टिंग अच्छी होती है।

 

इन सब बातों को ध्यान में रख कर आप यह तय कर सकते हैं कि आपको इस आईपीओ में पैसा लगाना चाहिए या नहीं।

 

Disclaimer: ये आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से इंवेस्टमेंट सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। The Headlines हिंदी अपने पाठकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।