जम्मू-पंजाब में बाढ़ का कहर! जानिए कितना हुआ नुकसान और अभी तक का लेटेस्ट अपडेट

जम्मू-कश्मीर में तवी, चिनाब, बसंतर और अन्य नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। कई जगहों पर पुल तेज पानी में बह गया है। नदियां कस्बों और गांवों में आ गई है, सड़कें बह गईं हैं जिससे संपर्क टूट गया है।

जम्मू-पंजाब में बाढ़ का कहर! जानिए कितना हुआ नुकसान और अभी तक का लेटेस्ट अपडेट

प्रतीकात्मक तस्वीर (Image Credit: Canva)

अगस्त 2025 के अंत में, पूरे उत्तर भारत में जोरदार बारिश हुई है। पंजाब में 24 घंटों में 48 मिमी बारिश हुई जो इस अवधि के लिए सामान्य 3.5 मिमी से 1,200% ज्यादा थी। हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य आस-पास के राज्यों में भी इसी तरह की भारी बारिश देखी गई। भारी बारिश के इन रिकॉर्ड के कारण नदियां तेजी से बढ़ीं और कई इलाकों में बाढ़ आ गई।

 

जम्मू-कश्मीर में तवी, चिनाब, बसंतर और अन्य नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। कई जगहों पर पुल तेज पानी में बह गया है। नदियां कस्बों और गांवों में आ गई है, सड़कें बह गईं हैं जिससे संपर्क टूट गया है।

 

भूस्खलन और बादल फटने से भारी नुकसान

 

14 अगस्त को किश्तवाड़ जिले में एक भयावह घटना घटी, जब चोसिटी गांव में बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई। पानी की यह धारा घरों, तीर्थयात्रियों और यहां तक कि एक कमर्शियल किचन को भी बहा ले गई। इस तबाही में 65 से ज्यादा लोगों की जान चली गई, 300 से ज्यादा घायल हुए और लगभग 200 लोग लापता बताए गए।

 

फिर 26-27 अगस्त को रियासी जिले में वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रा मार्ग पर अचानक भूस्खलन हुआ। भारी बारिश के कारण यह भूस्खलन हुआ, जिससे कई यात्री चट्टानों और कीचड़ में दब गए। अकेले इस घटना में 34 लोगों की जान चली गई।

हताहतों की संख्या और मानवीय क्षति

खबर लिखे जानें तक किश्तवाड़ में आई बाढ़ में कम से कम 65 लोग मारे गए, सैकड़ों घायल हुए और दर्जनों लोग लापता हैं। वैष्णो देवी भूस्खलन में 34 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई, अन्य घायल हो गए तथा कई लापता हो गए। जम्मू-कश्मीर में बाढ़ और भूस्खलन सहित अन्य घटनाओं में कुल मिलाकर कम से कम 41 लोगों की मौत हो चुकी है।

तूफान की चपेट में पंजाब

पंजाब ने भी मानसून की मार झेली। कुछ जगहों पर स्कूल बाढ़ के पानी में डूब गए, जिससे लगभग 200 बच्चे फंस गए। हजारों लोगों को निचले इलाकों से निकाला गया है।

ऐसा क्यों हुआ?

भारी मानसूनी बारिश इसकी सबसे प्रमुख वजह है। भारतीय मौसम विभाग ने इसे अत्यधिक मानसूनी बारिश बताया। इस बार कुछ इलाकों में सामान्य से कई सौ से लेकर 1,200% तक ज्यादा बारिश हुई है। इस बारिश ने पहाड़ी और मैदानी इलाकों को प्रभावित किया, जिससे बादल फटने, भूस्खलन और नदियों में उफान आने जैसी घटनाएं हुईं।

भारत में आपातकालीन प्रतिक्रिया

जम्मू और पंजाब में अधिकारियों ने तत्काल बचाव अभियान शुरू किया है। कई लोगों को हवाई मार्ग से निकाला जा चुका है, सड़कें साफ की गई हैं और स्कूल बंद कर दिए गए हैं। पंजाब के गुरदासपुर जिले में, मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, नुकसान का आकलन करने के आदेश दिए और घरों, खेतों और पशुओं को हुए नुकसान के लिए मुआवजा देने का वादा किया।

 

वैष्णो देवी के निकट कटरा में वरिष्ठ अधिकारियों को मदद के लिए भेजा गया; तीर्थयात्रियों को शिफ्ट किया गया; और एनडीआरएफ, सीआरपीएफ, बीएसएफ और सेना सहित राहत दल तैनात किए गए।

इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क ठप

बाढ़ और भूस्खलन के कारण कई जिलों में इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क ठप हो गए। स्कूल और यूनिवर्सिटी बंद कर दिए गए हैं और परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं हैं। प्रभावित इलाकों के आस-पास के मार्गों पर ट्रेन सेवाएं भी स्थगित कर दी गई है।

 

किश्तवाड़ में सुबह-सुबह बादल फटने से लेकर वैष्णो देवी के पास भूस्खलन तक, जम्मू और पंजाब ने अब तक के सबसे मुश्किल मानसून का सामना किया है। रिकॉर्ड तोड़ बारिश, उफनती नदियां और भूस्खलन के साथ-साथ बांधों से पानी छोड़े जाने ने तबाही मचा दी है।