India-US Trade Talks: महीनों की बैठकों, वादों और डेडलाइन के बावजूद, भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील की वार्ता सफल नहीं हो पाई जिसके कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत पर शुक्रवार 1 अगस्त 2025 से 25% का टैरिफ लागू करने की घोषणा की। इससे पहले ट्रंप ने 1 अगस्त तक दोनों देशों के बीच ट्रेड डील पर सहमति बनाने की डेडलाइन दी थी जो अब फेल हो गई है।
चलिए जानते हैं आखिर ट्रेड डील की वार्ता क्यों नहीं सफल हो पाई और पेंच कहां फंसा? यह भी जानिए की अमेरिका क्या चाहता था और भारत क्या का क्या प्वाइंट था।
क्या होती है ट्रेड डील?
ट्रेड डील दो देशों के बीच वस्तुओं की खरीद-बिक्री को आसान बनाने के लिए एक समझौता होता है। इसमें आमतौर पर शामिल होता है:
- आयातित वस्तुओं पर कम टैक्स (जिन्हें टैरिफ कहा जाता है)
- ट्रेड को निष्पक्ष बिजनेस में मदद करने के लिए नियम
- डिजिटल व्यापार, कृषि और अन्य क्षेत्रों में समझौते
भारत और अमेरिका व्यापार को बढ़ावा देने और नए टैरिफ से बचने के लिए एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement (BTA)) पर साइन करने का प्रयास कर रहे थे।
कहां फंसा पेंच?
कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर दोनों पक्ष असहमत रहें। चलिए एक-एक कर जानते हैं।
1. कृषि और डेयरी
भारत का प्वाइंट: भारत अपने किसानों की रक्षा करना चाहता है। 70 करोड़ से ज्यादा भारतीय खेती पर निर्भर हैं, जिनमें 8 करोड़ छोटे डेयरी किसान भी शामिल हैं। भारत को डर है कि सस्ते अमेरिकी कृषि उत्पाद खासकर डेयरी और जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) फसलें स्थानीय किसानों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
अमेरिका का प्वाइंट: अमेरिका चाहता है कि भारत सेब, बादाम, सोयाबीन, मक्का और डेयरी जैसे अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए अपना बाजार खोले। यूएस कहना है कि भारत के ऊंचे टैरिफ (50% तक) अमेरिकी किसानों के लिए कंपीटिशन करना मुश्किल बनाते हैं।
2. भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ
भारत का प्वाइंट: अमेरिका ने 1 अगस्त से भारतीय निर्यात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। भारत चाहता है कि ये टैरिफ हटा दिए जाएं या कम कर दिए जाएं। भारत विशेष रूप से स्टील, एल्युमीनियम, ऑटो पार्ट्स और टेक्सटाइल्स के लिए राहत चाहता है।
अमेरिका का प्वाइंट: अमेरिका का कहना है कि भारत अमेरिकी वस्तुओं पर हाई टैरिफ लगाता है और चाहता है कि भारत इसे कम करे। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को ‘सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक’ कहा है।
3. डिजिटल व्यापार और डेटा नियम
अमेरिका का प्वाइंट: अमेरिका चाहता है कि भारत डेटा संग्रहण संबंधी अपने नियमों में ढील दे और अमेरिकी टेक कंपनियों को अधिक पहुंच प्रदान करे।
भारत का प्वाइंट: भारत डिजिटल गोपनीयता को लेकर सतर्क है और अपने डेटा कानूनों पर नियंत्रण बनाए रखना चाहता है।
4. दवाइयां और चिकित्सा उपकरण
अमेरिका दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों के लिए भारत के बाजार तक आसान पहुंच चाहता है। भारत अभी भी इन मांगों की समीक्षा कर रहा है।
5. एनर्जी और रूस
अमेरिका इस बात से नाखुश है कि भारत रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदना जारी रखे हुए है। राष्ट्रपति ट्रंप ने तो इसके लिए पेनाल्टी भी लगाने की बात कही है। भारत का कहना है कि वह अपनी जरूरतों के हिसाब से ऊर्जा खरीदता है और दबाव में अपनी नीति नहीं बदलेगा।
भारत क्या चाहता है?
भारत अपने निर्यात पर 25% अमेरिकी टैरिफ हटाना; स्टील, एल्युमीनियम, ऑटो पार्ट्स और वस्त्रों पर कम टैरिफ; कपड़े, रत्न, चमड़ा और केमिकल प्रोडक्ट के लिए अमेरिकी बाजार तक बेहतर पहुंच; अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों के लिए सुरक्षा और एक स्पष्ट वादा कि समझौते पर साइन होने के बाद अमेरिका और टैरिफ नहीं लगाएगा, ये चाहता है। भारत यह भी चाहता है कि जापान और वियतनाम जैसे अन्य देशों की तुलना में उसके साथ उचित व्यवहार किया जाए, जिन्होंने पहले ही अमेरिका के साथ समझौते पर साइन कर लिए हैं।
अमेरिका क्या चाहता है?
अमेरिका चाहता है कि भारत अमेरिका के निर्यात पर कम टैरिफ लगाए- खासकर कृषि उत्पाद, डेयरी, वाइन और इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट पर। इसके अलावा यूएस चाहता है कि GM फसलों और इथेनॉल के लिए भारत के बाजार तक पहुंच मिले; डिजिटल व्यापार और डेटा के लिए आसान नियम हो; इलेक्ट्रिक वाहनों, चिकित्सा उपकरणों और दवाइयों पर टैरिफ में कटौती हो; अधिक पारदर्शिता और कम गैर-टैरिफ बाधाएं हों। राष्ट्रपति ट्रंप ऐसे ट्रेड डील चाहते हैं जो बाजारों को "काफी हद तक" खोलें और अमेरिकी बिजनेस को लाभ पहुंचाएं।
अब आगे क्या?
अगले दौर की वार्ता के लिए एक अमेरिकी ट्रेड टीम 25 अगस्त को भारत आने वाली है। दोनों पक्ष अब 1 अगस्त के टैरिफ से बचने और बातचीत जारी रखने के लिए एक अंतरिम व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं। अगर कोई समझौता नहीं होता है, तो भारतीय निर्यातकों को बढ़ी हुई लागत का सामना करना पड़ सकता है, और कपड़ा, रत्न और ऑटो पार्ट्स जैसे कुछ क्षेत्रों पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।