क्या है रेयर अर्थ मैग्नेट जिस पर चीन ने लगाया प्रतिबंध? मारुति से लेकर बजाज तक, ऑटो कंपनियों की उड़ी नींद

इस प्रतिबंध का सबसे अधिक प्रभाव इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) इंडस्ट्री पर पड़ेगा। बताया जा रहा है कि चीन द्वारा इस प्रतिबंध के बाद ईवी बनाने वाली कंपनियों को अपना प्रोडक्शन बंद तक करना पड़ सकता है।

क्या है रेयर अर्थ मैग्नेट जिस पर चीन ने लगाया प्रतिबंध? मारुति से लेकर बजाज तक, ऑटो कंपनियों की उड़ी नींद

Rare Earth Magnet (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत का पड़ोसी देश, चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट (Rare Earth Magnet) पर प्रतिबंध लगाने के बाद  मारुति, हीरो, बजाज, टीवीएस सहित अन्य भारतीय ऑटो निर्माता कंपनियों की नींद उड़ गई है। यहां तक की अन्य देशों के कार निर्माताओं की भी चिंता बढ़ गई है। इस प्रतिबंध का सबसे अधिक प्रभाव इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) इंडस्ट्री पर पड़ेगा। बताया जा रहा है कि चीन द्वारा इस प्रतिबंध के बाद ईवी बनाने वाली कंपनियों को अपना प्रोडक्शन बंद तक करना पड़ सकता है। 

 

चीन ने 4 अप्रैल 2025 को अपनी कंपनियों से कहा कि वो सरकार की अनुमति के बिना किसी भी देश को रेयर अर्थ मैग्नेट्स न बेचे। इस आदेश के बाद चीन की कोई भी कंपनी तब तक ये मैग्नेट्स नहीं बेच सकती, जब तक चीन की सरकार उसे लाइसेंस और खरीदार से एंड-यूज सर्टिफिकेट न दे दे।

 

अब सवाल आता है कि आखिर ये रेयर अर्थ मैग्नेट क्या बला है जिसके प्रतिबंध से ऑटो इंडस्ट्री में हाहाकार मचा है? और अगर चीन ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है तो यह इतना चिंता का विषय क्यों है कि कंपनियों को अपने वाहनों का प्रोडक्शन तक बंद करना पड़ सकता है? आखिर ये रेयर अर्थ मैग्नेट का ऑटो इंडस्ट्री में इतनी जरूरत क्यों है? एक सवाल यह भी की क्या चीन इतना शक्तिशाली है कि उसके इस प्रतिबंध का असर पूरी दुनिया के ऑटो मेकर्स पर पड़ेगा? भारत चीन पर रेयर अर्थ मैगनेट्स के लिए आखिर कितना निर्भर है और भारत के पास इसका सॉल्यूशन क्या है? चलिए इन सभी सवालों का जवाब सबसे आसान भाषा में जानते हैं।

 

क्या है रेयर अर्थ मैग्नेट?

रेयर अर्थ मैग्नेट एक प्रकार का मजबूत परमानेंट मैग्नेट हैं जो रेयर अर्थ एलिमेंट (Rare Earth Elements (REE)) से बना होता है। ज्यादातर एलिमेंट्स लेन्थनाइड (lanthanide) सीरीज के होते हैं। दो सबसे सामान्य रेयर अर्थ मैग्नेट नियोडिमियम (Nd-Fe-B) और समेरियम कोबाल्ट (SmCo) हैं।

रेयर अर्थ मैग्नेट के प्रतिबंध से ऑटो इंडस्ट्री क्यों परेशान?

चीन द्वारा  रेयर अर्थ मैग्नेट के प्रतिबंध से ऑटो इंडस्ट्री इसलिए परेशान है क्योंकि रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल गाड़ियों के निर्माण में होता है। खासकर ईवी में रेयर अर्थ मैग्नेट का इस्तेमाल ज्यादा होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हर ईवी में 1.2 से 2 किलोग्राम रेयर अर्थ मैग्नेट लगे होतें हैं। इन मैग्नेट्स का इस्तेमाल कार के ब्रेक, पावर स्टीयरिंग, विंडस्क्रीन वाइपर, मोटर्स, बैटरियों, सेंसरों और म्यूजिक सिस्टम्स के बनाने में किया जाता है। इन मैगनेट के बिना मोटर्स की एफिशिएंसी कम हो जाती है, जिससे गाड़ियों की परफॉर्मेंस और बैटरी लाइफ प्रभावित होती है। 

क्या चीन इतना शक्तिशाली है कि उसके इस प्रतिबंध का असर पूरी दुनिया के ऑटो मेकर्स पर पड़ेगा?

इस सवाल का जवाब है हां, चीन के इस प्रतिबंध के बाद दुनिया भर के ऑटो मेकर्स की चिंता इसलिए बढ़ गई है क्योंकि चीन के पास पुरी दुनिया के करीब 90% रेयर अर्थ मैग्नेट है। यही कारण है कि चीन के प्रतिबंध के बाद ऑटो इंडस्ट्री में हाहाकार मचा है।  

भारत चीन पर रेयर अर्थ मैगनेट्स के लिए आखिर कितना निर्भर है?

रेयर अर्थ मैग्नेट्स के मामले में भारत काफी हद तक चीन पर निर्भर है। चूंकि चीन का रेयर अर्थ मैग्नेट्स के 90% कब्जा है इसलिए भारत अपने ज्यादातर जरूरतों को पूरा करने के लिए चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट्स का आयात करता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने FY24 में करीब 460 टन रेयर अर्थ मैगनेट्स को आयात किया था जहां लगभग पूरा स्टॉक चीन से आयात किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक FY25 में भारत का आयात 700 टन का हो सकता है।

ऑटो कंपनियों की उड़ी नींद

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जापान में मारुति सुजुकी ने अपनी स्विफ्ट कार का प्रॉडक्शन रोक दिया है। वहीं भारत में भी अगर इसका सामाधान नहीं निकला तो मारुति को जून की शुरुआत में अपने एक कार मॉडल का प्रोडक्शन बंद करना पड़ सकता है। 

 

टीवीएस मोटर के एमडी सुदर्शन वेणु ने CNBC-TV18 से बातचीत में कहा, “अगर हालात नहीं बदले, तो जून या जुलाई से हमारे प्रोडक्शन पर असर दिखने लगेगा। खासतौर पर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।” 

 

बजाज ऑटो सहित अन्य ऑटो मेकर्स ने का भी यह कहाना है कि अगर इसका कोई रास्ता नहीं निकला तो अगले महीने से उनके उत्पादन पर असर पड़ना तय है।

भारत के पास क्या सॉल्यूशन?

शॉर्ट टर्म में भारत के पास  डिप्लोमैटिक बातचीत का रास्ता है जिसके जरिए भारत सरकार चीन से बात करें और लाइसेंस मंजूर करवाए ताकी कंपनियों को प्रोडक्शन बंद न करना पड़े। अगर लॉन्ग टर्म में देखें तो भारत को घरेलू स्तर पर मैग्नेट के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए। हालांकि सरकार ने इसके लिए काम करना शुरू भी कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मिनिस्ट्री ऑफ हैवी इंडस्ट्रीज ने 3 जून 2025 को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की थी, जिसमें रेयर अर्थ मैग्नेट के उत्पादन पर चर्चा की गई थी।