आज के डिजिटल युग में जब हर समस्या का हल मोबाइल स्क्रीन पर मिल जाता है, लोग अब अपनी इमोशनल और मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियों के लिए भी एआई चैटबॉट्स और वेलनेस ऐप्स का सहारा लेने लगे हैं। ये टूल्स आसान, सस्ते और 24 घंटे उपलब्ध रहने के कारण बेहद लोकप्रिय हो गए हैं। कई लोग इन्हें डिजिटल काउंसलर की तरह इस्तेमाल करते हैं जो उनकी बातें सुनते हैं और सलाह भी देते हैं। लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने ऐसे टूल्स की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (APA) ने अपनी एक हेल्थ एडवाइजरी में चेतावनी दी है कि मेंटल हेल्थ के लिए इस्तेमाल किए जा रहे एआई चैटबॉट्स न तो वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हैं और न ही इनमें सुरक्षा के पर्याप्त मानक मौजूद हैं। ऐसे में इन पर भरोसा करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
मेंटल हेल्थ के लिए डिज़ाइन नहीं हुए ये टूल्स
APA की रिपोर्ट “Use of Generative AI Chatbots and Wellness Applications for Mental Health” में बताया गया है कि ये डिजिटल टूल्स असल में मेंटल हेल्थ के इलाज या देखभाल के लिए बनाए ही नहीं गए। रिपोर्ट के अनुसार, सस्ती और आसानी से मिलने वाली सेवाओं के कारण लोग इनका तेजी से उपयोग कर रहे हैं, खासकर वे लोग जो महंगा इलाज या थेरेपी अफोर्ड नहीं कर सकते। APA के सीईओ के मुताबिक, दुनिया फिलहाल एक गहरे मेंटल हेल्थ संकट से गुजर रही है, लेकिन सिर्फ तकनीकी उपाय इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं हैं।
टेक्नोलॉजी पर अंधी निर्भरता हो सकती है खतरनाक
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डिजिटल टूल्स मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने का जरिया तो बन सकते हैं, लेकिन इन्हें असली इलाज का विकल्प नहीं माना जा सकता। इन पर जरूरत से ज्यादा भरोसा लोगों को प्रोफेशनल मदद लेने से रोक सकता है। रिपोर्ट में सरकारों, शोधकर्ताओं, डॉक्टर्स और टेक कंपनियों से मिलकर एक जवाबदेह और सुरक्षित सिस्टम विकसित करने की अपील की गई है ताकि मेंटल हेल्थ डेटा सुरक्षित रहे और यूजर्स को सही दिशा में मदद मिले।
सख्त नियम और पारदर्शिता की मांग
APA का कहना है कि एआई तकनीक का विकास इतनी तेजी से हुआ है कि उसके दीर्घकालिक असर और संभावित खतरों को समझने का मौका ही नहीं मिला। इसलिए टेक कंपनियों से पारदर्शिता बढ़ाने और स्वतंत्र शोध की अनुमति देने की सिफारिश की गई है ताकि इन चैटबॉट्स के वास्तविक प्रभावों का आकलन किया जा सके। साथ ही, संगठन ने कहा है कि अब तक कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो यह साबित करे कि एआई चैटबॉट्स मानसिक स्वास्थ्य सुधार में प्रभावी या पूरी तरह सुरक्षित हैं।
एआई चैटबॉट्स और वेलनेस ऐप्स भले ही अस्थायी राहत दें, लेकिन मेंटल हेल्थ जैसी गंभीर समस्या के लिए प्रोफेशनल काउंसलिंग और थेरेपी का कोई विकल्प नहीं हो सकता। ऐसे में विशेषज्ञों की राय है कि इन टूल्स का उपयोग सीमित रूप में किया जाए और किसी भी मानसिक परेशानी की स्थिति में पेशेवर मदद जरूर ली जाए।