Futures and Options क्या होता है? अगर अब तक समझ नहीं आया तो बस ये आर्टिकल पढ़ लीजिए - बेहद आसान शब्दों में है

इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की फ्यूचर्स और ऑप्शंस क्या है, ये कैसे काम करते है और लोग इनका इस्तेमाल क्यों करते हैं।

Futures and Options क्या होता है? अगर अब तक समझ नहीं आया तो बस ये आर्टिकल पढ़ लीजिए - बेहद आसान शब्दों में है

Futures and Options क्या होता है? जानिए बेहद आसान शब्दों में है

Futures and Options in Trading: शेयर बाजार में लोग अब सिर्फ शेयर खरीदते या बेचते नहीं बल्कि पैसा कमाने के लिए फ्यूचर्स और ऑप्शंस का भी इस्तेमाल करते हैं। शुरू में ये शब्द किसो भी कठिन लग सकता है लेकिन यकिन मानए अगर आपके इस आर्टिकल को अच्छे से पढ़ लिया तो फिर दोबारा फ्यूचर और ऑप्शन को समझने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

 

इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की फ्यूचर्स और ऑप्शंस क्या है, ये कैसे काम करते है और लोग इनका इस्तेमाल क्यों करते हैं। चाहे आप छात्र हैं, शुरुआती निवेशक है या शेयर बाजार के बारे में जानने के लिए उत्सुक है, यह आर्टिकल आपके लिए है।

 

फ्यूचर और ऑप्शन क्या है? 

 

फ्यूचर और ऑप्शन एक फाइनेंशियल टूल हैं जो डेरिवेटिव नामक कैटेगरी में आते हैं। डेरिवेटिव एक कॉन्ट्रैक्ट है जिसकी वैल्यू किसी अन्य चीज की कीमत पर निर्भर करता है, जैसे कि स्टॉक, सोना, तेल या यहां तक कि निफ्टी या सेंसेक्स जैसे इंडेक्स। 

 

इसका मतलब है कि आप वास्तविक प्रोडक्ट (जैसे शेयर) नहीं खरीद रहे हैं, बल्कि भविष्य में उस प्रोडक्ट की कीमत के आधार पर सौदा कर रहे हैं। 

क्या होता है फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट?

फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट भविष्य की तिथि पर किसी निश्चित कीमत पर कुछ खरीदने या बेचने का एक कानूनी समझौता है।

 

उदाहरण: मान लीजिए, आपको लगता है कि अगले महीने आमों की कीमत बढ़ने वाली है। इसलिए आज, आप एक किसान से एग्रीमेंट करते हैं कि आप एक महीने के बाद उससे 100 रुपये प्रति किलो पर आम खरीदेंगे, चाहे उस समय आम की असली कीमत कुछ भी हो। यह फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट का एक सरल उदाहरण है।

 

शेयर बाजार में, यह उसी तरह काम करता है। आप भविष्य में किसी निश्चित तिथि पर एक निश्चित कीमत पर शेयर या कोई अन्य संपत्ति खरीदने या बेचने का सौदा करते हैं।

 

यदि कीमत आपके पक्ष में जाती है, तो आपको लाभ होता है। यदि नहीं, तो आपको नुकसान हो सकता है। फ्यूचर में, खरीदार और विक्रेता दोनों को समझौते का पालन करना होता है क्योंकि यह एक बाध्यकारी कॉन्ट्रैक्ट है।

 

इसलिए, यदि आप ₹100 पर शेयर खरीदने के लिए सहमत हुए, लेकिन बाजार मूल्य ₹90 पर गिर जाता है, तो भी आपको ₹100 पर खरीदना होगा, और इसके कारण आपको नुकसान होगा। यदि कीमत ₹110 तक जाती है, तो आप जीत जाते हैं क्योंकि आप अभी भी ₹100 पर खरीद सकते हैं और उच्च कीमत पर बेच सकते हैं।

 

फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट का उपयोग स्टॉक, सोने या तेल जैसी वस्तुओं, मुद्राओं और यहां तक ​​कि इंडेक्स के लिए भी किया जा सकता है।

ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट क्या है? 

ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट फ्यूचर्स के समान है, लेकिन इसमें एक बड़ा अंतर है। ऑप्शन में खरीदार के पास एक निश्चित तिथि से पहले एक निश्चित कीमत पर कुछ खरीदने या बेचने का अधिकार होता है, लेकिन यह फ्यूचर की तरह बाध्यकारी कॉन्ट्रैक्ट नहीं होता है। 

ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं: 

  • कॉल ऑप्शन: खरीदने का अधिकार 
  • पुट ऑप्शन: बेचने का अधिकार 

 

उदाहरण :

 

आपको लगता है कि आज किसी शेयर की कीमत ₹500 है, जो अगले दो हफ्तों में बढ़ जाएगी। आप कॉल ऑप्शन खरीदते हैं जो आपको अगले दो हफ्तों में कभी भी ₹500 पर शेयर खरीदने की अनुमति देता है। 

 

अगर शेयर की कीमत ₹550 हो जाती है, तो भी आप इसे ₹500 पर खरीद सकते हैं और ₹550 पर बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। लेकिन अगर शेयर की कीमत ₹450 पर गिर जाए तो क्या होगा? उस स्थिति में, आप अपने ऑप्शन का इस्तेमाल नहीं करने का विकल्प होता है।

 

आप बस इसे आसानी से अनदेखा कर सकते हैं, और आपका एकमात्र नुकसान वह छोटी राशि (जिसे प्रीमियम कहा जाता है) है जो आपने ऑप्शन खरीदने के लिए भुगतान किया था। 

 

यह ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का सबसे बड़ा फायदा है: यदि कीमत आपके पक्ष में नहीं चलती है तो आप उनका उपयोग न करने का विकल्प चुन सकते हैं। फ्यूचर में, आपके पास कोई विकल्प नहीं होता है - आपको डील करनी ही पड़ती है चाहे आपको प्रॉफिट हो या लॉस। 

ट्रेडर्स फ्यूचर्स और ऑप्शन का इस्तेमाल क्यों करते हैं?

लोग अलग-अलग कारणों से फ्यूचर्स और ऑप्शन का उपयोग करते हैं। कुछ लोग इनका उपयोग जल्दी से प्रॉफिट कमाने के लिए करते हैं, जबकि कुछ लोग जोखिम कम करने के लिए करते हैं।