Securities Market: अगर आप शेयर मार्केट में नए हैं या फिर पहले बार निवेश कर रहे हैं या फिर ऐसे ही स्टॉक मार्केट के काम करने के तरीके के बारे में जानना चाहते हैं, तो आपने लोगों को शेयर मार्केट को "सिक्योरिटीज मार्केट" (Securities Market) कहते हुए जरूर सुना होगा। ऐसे में आपके मन में यह सवाल आ सकता है कि आखिर ये सिक्योरिटीज का क्या मतलब है? और हम इसे शेयर मार्केट क्यों नहीं कहते? चलिए डिटेल में उदाहरण के साथ समझते हैं।
क्या होता है शेयर?
शेयर (जिसे स्टॉक भी कहा जाता है) किसी कंपनी में ओनरशिप के एक हिस्से को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी कंपनी के पास 100 शेयर हैं और आपके पास 10 शेयर हैं, तो आप उस कंपनी के 10% के मालिक हैं। शेयर रखने का मतलब है कि आपको कंपनी के मुनाफे (जिसे डिविडेंड कहा जाता है) का हिस्सा मिल सकता है और अगर शेयर की प्राइस बढ़ती है तो आपका प्रॉफिट भी बढ़ता है।
जब लोग "शेयर बाजार" या "स्टॉक मार्केट" कहते हैं, तो उनका मतलब आमतौर पर उस जगह से होता है जहां इन कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं।
सिक्योरिटीज क्या होता है?
सिक्योरिटीज को हिंदी में प्रतिभूति भी कहते हैं। सिक्योरिटीज शब्द एक व्यापक टर्म है जिसमें सभी वित्तीय साधन आते हैं। जैसे:
- शेयर (स्टॉक) - कंपनी के ओनरशिप का एक हिस्सा।
- बॉन्ड - वह लोन जो आप किसी कंपनी या सरकार को देते हैं, और सरकार आपको ब्याज सहित वापस भुगतान करती है।
- डिबेंचर - ये बॉन्ड के तरह ही होता है लेकिन अक्सर अनसिक्योर्ड होता है।
- म्यूचुअल फंड यूनिट - जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो बदले में आपको यूनिट मिलता है। यह विशेषज्ञों द्वारा मैनेज किए जाते हैं।
- डेरिवेटिव- फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसका वैल्यू अंडरलाइंग एसेट (जैसे शेयर, करेंसी, आदि) से आता है।
आखिर इन्हें सिक्योरिटी क्यों कहा जाता है?
इसे सिक्योरिटी इसलिए कहा जाता है क्योंकि:
- वे कानूनी अधिकारों के साथ आते हैं (जैसे डिविडेंड या ब्याज पाने का अधिकार)
- वे ट्रांसफर किए जा सकते हैं (आप उन्हें आसानी से खरीद या बेच सकते हैं)
- वे मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) द्वारा रेगुलेट किए जाते हैं।
इसे सिक्योरिटीज मार्केट क्यों कहते हैं?
इसे सिक्योरिटीज मार्केट इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें सिर्फ शेयर या स्टॉक नहीं बल्कि बॉन्ड, डिबेंचर, म्यूचुअल फंड यूनिट, डेरिवेटिव, ईटीएफ इत्यादि भी आते हैं। शेयर, सिक्योरिटीज मार्केट का सिर्फ एक हिस्सा है।
जब बाजार में कारोबार किए जाने वाले सभी तरह के वित्तीय साधनों की बात आती है, तो सिक्योरिटीज मार्केट शब्द ज्यादा सटीक होता है।
दो तरह के होते हैं सिक्योरिटीज मार्केट
1. प्राइमरी मार्केट (Primary Market)
प्राइमरी मार्केट वो मार्केट होता है जहां सिक्योरिटीज को पहली बार बेचा जाता है। उदाहरण के लिए इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) को प्राइमरी मार्केट बोला जाता है क्योंकि यहां शेयर को पहली बार सीधा पब्लिक को बेचा जाता है। आईपीओ से जुटाए गया पैसा सीधा कंपनी के पास जाता है।
2. सेकेंडरी मार्केट (Secondary Market)
यह वो मार्केट होता है जहां मौजूदा सिक्योरिटीज को खरीदा या बेचा जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि आप रिलायंस, टीसीएस या अन्य किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो आप सेकेंडरी मार्केट का इस्तेमाल करते हैं। शेयर बाजार को आमतौर पर सेकेंडरी मार्केट कहा जाता है। सेकेंडरी मार्केट से खरीदे गए शेयर का पैसा कंपनी के पास नहीं बल्कि उस निवेशक के पास जाता है जिसने आपको ये बेचा है।
इन दोनों मार्केट को मिला कर पूरा सिक्योरिटीज मार्केट बनता है।
शेयर बाजार बड़े सिक्योरिटीज मार्केट का सिर्फ एक हिस्सा है। इसे "सिक्योरिटीज मार्केट" कहने से वित्तीय दुनिया की ज्यादा और सटीक तस्वीर मिलती है। इसमें उन सभी तरह के निवेश टूल शामिल हैं जिनका इस्तेमाल लोग अपने पैसे को बढ़ाने या भविष्य के लिए बचत करने के लिए करते हैं।
किसी देश की अर्थव्यवस्था के विकास में प्रतिभूति बाजार की बड़ी भूमिका होती है। जब कंपनियां शेयर या बॉन्ड जारी करके पैसे जुटाती हैं, तो वे उस पैसे का इस्तेमाल अपने कारोबार को बढ़ाने, ज्यादा लोगों को काम पर रखने या नए प्रोडक्ट लॉन्च करने में करती हैं। साथ ही, निवेशक इन निवेशों से रिटर्न कमाते हैं, जो उन्हें समय के साथ पैसे बनाने में मदद करता है।