अमृतसर में गुरु नानक देव जी का प्रकाश उत्सव: श्रद्धा, भक्ति और रंगों से सराबोर हुआ पूरा शहर

श्री अकाल तख्त साहिब से आरंभ हुआ यह अलौकिक नगर कीर्तन गुरु परंपरा, आस्था और एकता का प्रतीक बना।

अमृतसर में गुरु नानक देव जी का प्रकाश उत्सव: श्रद्धा, भक्ति और रंगों से सराबोर हुआ पूरा शहर

अमृतसर में गुरु नानक देव जी का प्रकाश उत्सव / Photo Credit - Staff Reporter

पंजाब की पवित्र धरती अमृतसर आज श्रद्धा और भक्ति के अद्भुत संगम की साक्षी बनी, जब श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर शहर में एक भव्य नगर कीर्तन निकाला गया। श्री अकाल तख्त साहिब से आरंभ हुआ यह अलौकिक नगर कीर्तन गुरु परंपरा, आस्था और एकता का प्रतीक बना। शहर की गलियों में गूंजते “वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह” के जयकारों ने वातावरण को पूर्णतः आध्यात्मिक बना दिया।

 

भव्य नगर कीर्तन ने सजाया भक्ति का माहौल

 

यह नगर कीर्तन श्री अकाल तख्त साहिब से शुरू होकर श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) की परिक्रमा करता हुआ अमृतसर के कई प्रमुख इलाकों से गुजरा। रास्ते भर श्रद्धालु सिर झुकाए गुरु साहिब के पावन स्वरूप के दर्शन करते रहे। नगर कीर्तन का समापन दोबारा श्री अकाल तख्त साहिब में हुआ, जहां संगत ने अरदास के साथ गुरु नानक देव जी को नमन किया।

 

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को सुंदरता से सजे पालकी साहिब में विराजमान किया गया था। उनकी पवित्र छत्र-छाया में पंच प्यारे आगे-आगे चल रहे थे। उनके पीछे श्रद्धालु संगतों की लंबी कतारें थीं, जो भक्ति में डूबी नज़र आ रही थीं। पूरा माहौल आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत था।

 

गुरबाणी की मधुर धुनों और झांकियों से गूंजा शहर

 

नगर कीर्तन के दौरान पूरे अमृतसर में गुरबाणी की मधुर आवाजें गूंजती रहीं। ढोल, नगाड़ों और कीर्तन जत्थों की स्वर-लहरियों ने हर किसी का मन मोह लिया। शहर की गलियां फूलों और सजावट से सजी थीं, जहां से गुजरते नगर कीर्तन का हर दृश्य श्रद्धा से भरा हुआ था।

 

कई स्कूलों और धार्मिक संस्थाओं के विद्यार्थियों ने सुंदर झांकियां निकालीं, जिनमें गुरु नानक देव जी के जीवन और उनके उपदेशों को चित्रों और मंचन के माध्यम से दर्शाया गया। इन झांकियों ने श्रद्धालुओं को गुरु साहिब के संदेश — “निरभउ, निरवैर” और “सर्व मानवता के कल्याण” — की याद दिलाई।

 

गतका प्रदर्शन बना आकर्षण का केंद्र

 

नगर कीर्तन में गतका दलों ने अपनी अद्भुत युद्धकला का प्रदर्शन किया। नीली और केसरिया वेशभूषा में सजे युवाओं ने तलवारबाजी और भाले चलाने की पारंपरिक कला दिखाई, जिससे संगत मंत्रमुग्ध हो उठी। यह प्रदर्शन न केवल वीरता का प्रतीक था बल्कि सिख परंपरा की गौरवशाली विरासत को भी जीवंत कर रहा था।

 

भक्ति और एकता का संदेश लेकर आगे बढ़ा नगर कीर्तन

 

इस पवित्र अवसर पर श्री दरबार साहिब के मुख्य ग्रंथी सिंह साहिब ज्ञानी रघुबीर सिंह ने बड़ी मर्यादा और श्रद्धा के साथ पालकी साहिब की सेवा निभाई। उनके सान्निध्य में संगतों ने अरदास की और गुरु घर की कृपा का अनुभव किया। पूरा शहर जैसे भक्ति और आनंद के सागर में डूब गया था।

 

नगर कीर्तन की झलकियां सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुईं। हर तस्वीर और वीडियो लोगों के दिलों में श्रद्धा और गर्व का भाव भर रही थीं। रंग-बिरंगी सजावट, भव्य पालकी और गुरबाणी की धुनों ने इस दिन को अविस्मरणीय बना दिया।

 

अमृतसर में आज का दिन न केवल गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव का पर्व था, बल्कि यह मानवता, प्रेम और भाईचारे के संदेश को पुनः जीवंत करने का अवसर भी बन गया। शहर का हर कोना गुरु साहिब की कृपा और प्रकाश से आलोकित दिखा — सचमुच, आज अमृतसर भक्ति के रंगों में डूबा एक स्वर्ग समान दृश्य प्रस्तुत कर रहा था।