देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) में बेहतरीन नतीजे दर्ज किए हैं। बैंक का तिमाही मुनाफा सालाना आधार पर 10% बढ़कर ₹20,160 करोड़ पहुंच गया है। पिछले साल इसी अवधि में SBI को ₹18,331 करोड़ का प्रॉफिट हुआ था। बैंक के इस बेहतर प्रदर्शन के पीछे ब्याज आय में बढ़ोतरी और यस बैंक की हिस्सेदारी की बिक्री से हुआ अतिरिक्त लाभ अहम वजह रहा।
इस तिमाही में SBI की कुल ब्याज आय (Total Interest Income) ₹1.20 लाख करोड़ रही, जो पिछले साल की समान तिमाही में ₹1.13 लाख करोड़ थी। यानी सालाना आधार पर इसमें लगभग 5.08% की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं, बैंक की नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) भी बढ़कर ₹42,984 करोड़ हो गई है, जबकि पिछले साल यह ₹41,620 करोड़ थी। यह बढ़ोतरी करीब 3.28% की है। इन आंकड़ों से साफ है कि बैंक की मुख्य आय यानी ब्याज से होने वाली कमाई लगातार बेहतर हो रही है।
बैंक के मुनाफे में यस बैंक की हिस्सेदारी की बिक्री का बड़ा योगदान रहा। SBI ने 17 सितंबर 2025 को यस बैंक में अपनी 13.18% हिस्सेदारी ₹21.50 प्रति शेयर के भाव पर बेची, जिससे उसे ₹4,593.22 करोड़ का मुनाफा हुआ। इस रकम को बैंक ने ‘Exceptional Income’ यानी असाधारण आय के रूप में दर्ज किया है, जिसे कैपिटल रिजर्व में जोड़ा जाएगा। हिस्सेदारी बेचने के बाद 30 सितंबर 2025 तक SBI की यस बैंक में हिस्सेदारी घटकर 10.78% रह गई है। इसके बावजूद यस बैंक अब भी SBI की एसोसिएट कंपनी बनी रहेगी।
दूसरी तिमाही के दौरान बैंक ने अपने खराब कर्ज (NPA) में भी सुधार किया है। SBI का नेट NPA (Non-Performing Asset) 9.04% घटकर ₹18,460 करोड़ रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह ₹20,294 करोड़ था। इसका मतलब है कि बैंक ने अपने खराब लोन की वसूली और प्रबंधन में मजबूत कदम उठाए हैं, जिससे उसकी वित्तीय स्थिति और सुदृढ़ हुई है।
अब बात करते हैं कि NPA होता क्या है। जब कोई व्यक्ति या कंपनी बैंक से लिया गया लोन या उसकी किस्त 90 दिन या उससे अधिक समय तक नहीं चुकाती, तो वह लोन NPA कहलाता है। ऐसे लोन से बैंक को नुकसान होता है क्योंकि उस रकम की वसूली मुश्किल हो जाती है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति ₹10 लाख का लोन ले और तीन महीने तक उसकी EMI न भरे, तो वह लोन NPA माना जाएगा।
SBI ने अपने वित्तीय परिणामों के साथ शेयर बाजार में भी शानदार प्रदर्शन किया है। तिमाही नतीजों के बाद बैंक का शेयर 1% की तेजी के साथ अपने ऑल-टाइम हाई ₹959.30 पर पहुंच गया। पिछले एक महीने में शेयर 10% और एक साल में 15% तक चढ़ा है। वहीं पिछले छह महीनों में SBI का शेयर 21% से अधिक बढ़ चुका है। बैंक का मार्केट कैप ₹8.84 लाख करोड़ हो गया है, जिससे यह देश की छठी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक है। इसमें भारत सरकार की 55.5% हिस्सेदारी है। SBI की स्थापना 1 जुलाई 1955 को हुई थी और इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। बैंक की 22,500 से अधिक शाखाएँ और 50 करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं। भारत के अलावा यह 29 देशों में 241 विदेशी शाखाओं के साथ काम करता है। SBI न सिर्फ भारत का सबसे बड़ा लेंडर है, बल्कि देश की आर्थिक व्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ भी माना जाता है।