10 November 2025
Image Credit: Gemini AI
महाभारत की सबसे चर्चित घटनाओं में से एक है- द्रौपदी का पांडवों से विवाह। आखिर वह अकेली महिला पांच भाइयों की पत्नी कैसे बनी? क्या यह सिर्फ कुंती की भूल थी या इसके पीछे कोई दिव्य कारण भी था? श्रीकृष्ण ने स्वयं द्रौपदी को इसका रहस्य बताया था।
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द्रौपदी स्वयंवर में राजा-महाराजा आए, पर चुनौती कठिन थी। चुनौती ये की- मछली की घूमती आंख को जल में प्रतिबिंब देखकर भेदना था। अर्जुन ने इस चुनौती को सबसे बेहतर तरीके से पूरा किया और द्रौपदी का स्वयंवर जीता था।
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जब पांडव द्रौपदी को लेकर घर पहुंचे, तब कुंती ने बिना देखे कहा- “जो भी लाए हो, आपस में बाँट लो।” धर्म को सर्वोपरि मानने वाले पांडव माँ के वचन से पीछे नहीं हट सकते थे। इसलिए द्रौपदी ने पाँचों पांडवों से विवाह स्वीकार कर लिया।
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कहा जाता है कि द्रौपदी पिछले जन्म में एक तपस्विनी थीं। उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए पांच बार एक ही वर माँगा- “मुझे ऐसा पति मिले, जिसमें पांचों श्रेष्ठ गुण हों।” इन गुणों में द्रौपदी ने मांगा था कि उसके पति में धर्म, बल, धनुर्विद्या, सौंदर्य, और ज्ञान सब हो।
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कृष्ण ने बताया कि चूंकी एक ही व्यक्ति में सभी गुण संभव नहीं इसलिए इस जन्म में उसे पांच पति मिले हैं। युधिष्ठिर के पास धर्म, भीम के पास बल, अर्जुन के पास धनुर्विद्या, नकुल के पास सौंदर्य और सहदेव के पास ज्ञान था।
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द्रौपदी का पांडवों से विवाह सिर्फ संयोग नहीं था, बल्कि- पिछले जन्म की साधना का फल, भगवान शिव का वरदान, धर्म और नीति का पालन भी था।
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पांचाल के राजा द्रुपद ने द्रोणाचार्य से अपमान का बदला लेने के लिए एक विशेष यज्ञ करवाया। इसी यज्ञ की अग्नि से दो संतानों ने जन्म लिया: धृष्टद्युम्न और द्रौपदी
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