06 November 2025
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वर्तमान में देश की राजधानी दिल्ली और उसके आस पास के इलाके एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच चुका है। हर साल जैसे ही ठंड शुरू होती है, दिल्ली-एनसीआर का AQI ‘गंभीर’ श्रेणी तक पहुंच जाता है। लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है कि ठंड में ही हवा खराब होती है। चलिए जानते हैं।
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ठंड में तापमान गिरने से हवा की गति बहुत धीमी हो जाती है। जब हवा नहीं बहती, तो प्रदूषक (जैसे धुआं, धूल, गैसें) ऊपर नहीं जा पाते और जमीन के पास ही फंस जाते हैं। इससे प्रदूषण जमा होता चला जाता है और AQI तेजी से बढ़ जाता है।
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सर्दी में जमीन के पास की हवा ठंडी होती है और ऊपर की हवा गर्म। यह स्थिति ‘टेम्परेचर इनवर्शन’ कहलाती है। इसमें ठंडी हवा ऊपर नहीं उठ पाती और नीचे ही प्रदूषण को फंसा लेती है। यानी हवा के कण ऊपर जाकर फैल नहीं पाते, जिससे प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है।
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अक्टूबर-नवंबर में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान धान की फसल कटने के बाद पराली जलाते हैं। इस पराली से निकलने वाला धुआं हवाओं के रुख के साथ दिल्ली-एनसीआर तक पहुंचता है और वहां पहले से मौजूद प्रदूषण में जुड़कर स्थिति को और गंभीर बना देता है।
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ठंड में ही त्योहारों और छुट्टियों का मौसम होता है, जब लोग अधिक यात्रा करते हैं। लाखों वाहनों से निकलने वाला धुआं, डीजल जेनरेटर और निर्माण स्थलों से उड़ती धूल PM2.5 और PM10 कणों की मात्रा को और बढ़ा देती है।
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दिवाली और अन्य त्योहारों पर जलाए गए पटाखे हवा में भारी मात्रा में कार्बन, सल्फर और धुआं छोड़ते हैं। ठंडी हवा इन प्रदूषकों को फैलने नहीं देती, इसलिए उनका असर कई दिनों तक बना रहता है।
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सर्दियों में बारिश बहुत कम होती है। बारिश आम तौर पर हवा को साफ करने में मदद करती है, लेकिन जब वह नहीं होती तो प्रदूषक महीनों तक वातावरण में बने रहते हैं।
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